जय श्री राधे कृष्ण …….
“सुनि प्रभु बचन बिलोकि मुख गात हरषि हनुमंत, चरन परेउ प्रेमाकुल त्राहि त्राहि भगवंत ।।
भावार्थ:- प्रभु के वचन सुनकर और उनके (प्रसन्न) मुख तथा (पुलकित) अंगों को देख कर हनुमान जी हर्षित हो गये और प्रेम में विकल होकर ‘हे भगवन् ! मेरी रक्षा करो, रक्षा करो’ कहते हुए श्रीराम जी के चरणों में गिर पड़े…… ।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
