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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-167

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जय श्री राधे कृष्ण …….

सुन सीता दुख प्रभु सुख अयना,भरि आए जल राजिव नयना, बचन काय मन मम गति जाही,सपनेहुँ बूझिअ बिपति कि ताही ।।

भावार्थ:- सीता जी का दु:ख सुन कर सुख के धाम प्रभु के कमल नेत्रों में जल भर आया, (और वे बोले) मन वचन और शरीर से जिसे मेरी ही गति (मेरा ही आश्रय) है, उसे क्या स्वप्न में भी विपत्ति हो सकती है…….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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