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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-157

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जय श्री राधे कृष्ण …….

जामवंत कह सुनु रघुराया, जा पर नाथ करहु तुम्ह दाया, ताहि सदा सुभ कुसल निरंतर, सुर नर मुनि प्रसन्न ता ऊपर !!

भावार्थ:- जामवंत ने कहा – हे रघुनाथ जी! सुनिए । हे नाथ ! जिस पर आप दया करते हैं, उसे सदा कल्याण और निरंतर कुशल है । देवता, मनुष्य और मुनि सभी उस पर प्रसन्न रहते हैं…..!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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