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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-149

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जय श्री राधे कृष्ण …….

हरसे सब बिलोकि हनुमाना, नूतन जन्म कपिन्ह तब जाना, मुख प्रसन्न तन तेज बिराजा, कीन्हेसि रामचंद्र कर काजा ।।

भावार्थ:- हनुमान जी को देख कर सब हर्षित हो गए और तब वानरों ने अपना नया जन्म समझा । हनुमान जी का मुख प्रसन्न है और शरीर में तेज विराजमान है, (जिससे उन्होंने समझ लिया कि) ये श्री राम चंद्र जी का कार्य कर आए हैं …… ।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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