जय श्री राधे कृष्ण …….
“चलत महाधुनि गर्जेसि भारी, गर्भ स्रवहिं सुनि निसिचर नारी, नाघि सिंन्धु एहि पारहि आवा, सबद किलकिला कपिन्ह सुनावा ।।
भावार्थ:- चलते समय उन्होंने महाध्वनि से भारी गर्जना किया, जिसे सुन कर राक्षसों की स्त्रियों के गर्भ गिरने लगे । समुद्र लाँघ कर वे इस पार आए और उन्होंने वानरों को किलकिला शब्द (हर्षध्वनि ) सुनाया……. ।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
