जय श्री राधे कृष्ण …….
“जनक सुतहि समुझाइ करि बहु बिधि धीरजु दीन्ह, चरन कमल सिरु नाइ कपि गवनु राम पहिं कीन्ह ।।
भावार्थ:– हनुमान जी ने जानकी जी को समझा कर बहुत प्रकार से धीरज दिया और उनके चरण कमलों में सिर नवा कर श्री राम जी के पास गमन किया……!!
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
