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गोग्रास -किसी साथी की सच्ची घटना

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गोग्रास -किसी साथी की सच्ची घटना

लगभग 2 वर्ष पूर्व 2022 जून में हमारे पिताजी का स्वर्गवास हुआ था हमने विधिवत शास्त्र अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया और जैसा कि संत महात्मा कहते हैं,,और गरुड़पुराण में भी लिखा है सुना है उसके अनुसार पिताजी के नाम की प्रतिदिन 2 रोटी बरसी तक और अभी तक भी दे रहे हैं जबकि मासिक छमाई बरसी सब कर चुके हैं तो भी हमारी माँ अभी भी उनके नाम की 2 रोटी निकालती है और स्वयं हमारा भाई या हमारी मां गौमाता को अपने हाथ से खिला कर आते है कुछ दिन पहले संयोग वश हमारी माँ के पैर में चोट लग गयी और भाई भी दिल्ली से बाहर था तो हमारी माँ ने जो हमारे यंहा दूध देने आता है बच्चा ही है 14-15 साल का उनके यंहा भी देसी गाय रखी हुई है,,,उसे हमारी माँ ने कहा बेटा तुम्हारे यंहा गाय है ये रोटी उसे खिला देना होदी में या भैंस को नही देना केवल गाय को ही खिलानी है उसने कहा ठीक है अम्मा दो दिन हमारी माँ ने उसे ही रोटियां दे दी तीसरे दिन हमारी एक परिचित ने हमारी माँ को फोन कर के बताया आंटी अंकल जी कल रात सपने में आये थे और रोटी मांग रहे थे कि 2 दिन से भूखा हूँ,,हमारी माँ ने कहा लेकिन में तो रोज उनके नाम की रोटी निकाल रही हूँ ऐसे कैसे और जैसे ही वो लड़का दूध देने आया तो हमारी माँ ने उससे पूछा क्यों रे आकाश तुझे रोटी दी थी तूने भैंस के आगे तो नही डाल दी उसने कहा नही अम्मा गाय को खिलाई..हमारी माँ ने फिर उसे थोड़ा डरा कर सख्ती से पूछा तो उसने स्वीकार किया कि रोटी स्कूटी की डिग्गी में ही रह गयी दी ही नही भूल गया देनी,,और जब उसे पता लगा तो बोला अम्मा बाबा चमत्कारी है यह कुछ दिन पहले ही हमारी माँ ने मुझे बताई थी जो आज आप से साझा कर रहा हूँ….कुछ लोग कहते हैं ये सब कपोल कल्पित बातें है यंहा सूर्य को जल देने से क्या वँहा पहुँच जाएगा शिव लिंग पे जल चढ़ाने से क्या होगा…गाय को यंहा रोटी देने से पितरों को कैसे मिल जाएगी वगैरा वगैरा,,,ये घटना सिद्ध करती है कि यंहा गाय को रोटी खिलाने से वँहा जीव आत्मा को मिलती है केवल 2 दिन रोटी नही मिली तो हमारे पिताजी बता गए और हमारी माँ को सपना आया होता तो भी हम मान लेते कंही न कंही मन मे दूध वाले के प्रति शंका रही होगी जो सपने में दिखाई दिए….किन्तु जिसके सपने में आये वो तो न हमारे परिवार की थी न उसे ये सब जानकारी ही थी। आप मे से भी काफी लोगों के इस प्रकार के अनुभव अवश्य ही होंगे..कई संतो के मुख से हमने सुना है और प्रत्यक्ष देखा भी है गौमाता के प्राण बड़े कष्ट में निकलते है क्योंकि वह सबके कष्टो को अपने ऊपर ले लेती है कभी आप भी अनुभव करिये इसका ये कोई कपोलकल्पित नही है गौ को ऐसे ही गौमाता नही कहा हमारे देवताओ ने ऋषि मुनियों ने पूर्वजो ने साधु संतों ने जैसे एक सांसारिक माँ अपने बच्चो की सारी पीड़ा कष्ट अपने पर खुशी खुशी ले लेती है प्रत्येक माँ अगर उसकी संतान कष्ट में है तो ईश्वर से यही प्राथना करती है प्रभु इसके सारे कष्ट मुझे दे दे मेरे बच्चे का दुःख कष्ट देखा नही जाता और ये करुणा केवल केवल और केवल माँ में ही होती है इसलिए गौ को गौमाता कहा जाता है माँ बड़ा मूल्यवान शब्द है माँ, महात्मा और फिर परमात्मा..इसलिए जितनई हो सके अपनी माँ की और गौमाता की सेवा जब अवसर मिले करते रहिये सन्त जन कहते है आशीर्वाद की यही 4 टोंटियां है जंहा से आशीर्वाद बहता है माँ, गौमाता, महात्मा और परमात्मा…..परमात्मा और महात्मा तो इस युग मे मिलने मुश्किल है तो 2 प्रत्यक्ष है इनका आशीर्वाद मीले इसके लिए इनकी जितनी हो सके तन, मन, धन आचरण व्यवहार से सेवा कीजिये…जय गौमाता जय गोपाल…

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

2 Comments

  • इन घटनाओं से सनातन धर्म में आस्था को और बलवती होती है।।।
    आपके प्रयासों के लिए साधुवाद और उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए शुभकामनाएं।।।।

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