जय श्री राधे कृष्ण …….
“कहु कपि केहि बिधि राखौं प्राना, तुम्हहू तात कहत अब जाना, तोहि देखि सीतलि भइ छाती, पुनि मो कहुँ सोइ दिनु सो राती ।।
भावार्थ:- हे हनुमान ! कहो, मैं किस प्रकार प्राण रखूँ । हे तात! तुम भी अब जाने को कह रहे हो । तुम को देख कर छाती ठंडी हुई थी । फिर मुझे वही दिन और वही रात….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
