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ऊपर उठने का माद्दा रखो

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ऊपर उठने का माद्दा रखो

पर्वत की ऊंचाई चाहें कितनी ही ऊपर क्यों नहीं हो यदि हमारा मन का विश्वास ऊपर है ऊंचा है तो हम एक न एक दिन चोटी पर पहुंचकर ही दम लेंगे , हमारा आत्मविश्वास जितना मजबूत होगा उतना ही हमारा कार्य मजबूती के साथ आगे बढ़ाना प्रारंभ हो जाएगा। इसलिए कोई भी कार्य करने से पहले अपने मन को मजबूत बनाना प्रारंभ कर दो हमारा जितना ऊंचा मादा होगा उतनी ज्यादा सफलता है हमारे को प्राप्त होनी प्रारंभ हो जाएगी ।

हमारा अपना चिंतन ही हमारे को हमेशा महानता के पथ पर अग्रसर करने वाला होता है ,इसलिए चिंतन को कभी भी संकीर्ण बनाने का प्रयास मत करो जितना चिंतन विशाल रहेगा हमारा जीवन उतना ही ज्यादा विशालता की ओर अग्रसर होना प्रारंभ हो जाएगा ।

ऊंचाइयां अपने आप ही हम छुना प्रारंभ कर देंगे……

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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