जय श्री राधे कृष्ण …….
“बचन सुनत कपि मन मुसुकाना,भाई सहाय सारद मैं जाना, जातुधान सुनि रावन बचना, लागे रचैं मूढ़ सोइ रचना ।।
भावार्थ:- यह वचन सुनते ही हनुमान जी मन में मुस्कराये (और मन-ही-मन बोले कि) मैं जान गया, सरस्वती जी (इसे ऐसी बुध्दि देने में) सहायक हुई हैं । रावण के वचन सुन कर मूर्ख राक्षस वही (पूंछ मे आग लगाने की) तैयारी करने लगे…… ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
