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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-128

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जय श्री राधे कृष्ण …….

जदपि कही कपि अति हित बानी, भगति बिबेक बिरति नय सानी, बोला बिहसि महा अभिमानी, मिला हमहि कपि गुर बड़ ग्यानी ।।

भावार्थ:- यद्यपि हनुमान जी ने भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और नीति से सनी हुई बहुत ही हित की वाणी कही । तो भी वह महान अभिमानी रावण बहुत हँस कर (व्यंग्य से) बोला कि हमें यह बंदर बड़ा ज्ञानी गुरु मिला….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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