जय श्री राधे कृष्ण …….
“प्रनतपाल रघुनायक करुना सिंधु खरारि, गए सरन प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारि ।।
भावार्थ:- खर के शत्रु श्री रघुनाथ जी शरणागतों के रक्षक और दया के समुद्र हैं । शरण जाने पर प्रभु तुम्हारा अपराध भुला कर तुम्हें अपनी शरण में रख लेंगे…..!!
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
