lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-122

111Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

प्रनतपाल रघुनायक करुना सिंधु खरारि, गए सरन प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारि ।।

भावार्थ:- खर के शत्रु श्री रघुनाथ जी शरणागतों के रक्षक और दया के समुद्र हैं । शरण जाने पर प्रभु तुम्हारा अपराध भुला कर तुम्हें अपनी शरण में रख लेंगे…..!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply