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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-120

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जय श्री राधे कृष्ण …….

बिनती करउँ जोरि कर रावन, सुनहु मान तजि मोर सिखावन, देखहु तुम्ह निज कुलहि बिचारी, भ्रम तजि भजहु भगत भय हारी ।।

भावार्थ:- हे रावण! मैं हाथ जोड़ कर तुमसे विनती करता हूँ, तुम अभिमान छोड़ कर मेरी सीख सुनो । तुम अपने पवित्र कुल का विचार करके देखो और भ्रम को छोड़कर भक्त भयहारी भगवान को भजो….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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