जय श्री राधे कृष्ण …….
“बिनती करउँ जोरि कर रावन, सुनहु मान तजि मोर सिखावन, देखहु तुम्ह निज कुलहि बिचारी, भ्रम तजि भजहु भगत भय हारी ।।
भावार्थ:- हे रावण! मैं हाथ जोड़ कर तुमसे विनती करता हूँ, तुम अभिमान छोड़ कर मेरी सीख सुनो । तुम अपने पवित्र कुल का विचार करके देखो और भ्रम को छोड़कर भक्त भयहारी भगवान को भजो….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
