जय श्री राधे कृष्ण …….
“धरइ जो बिबिध देह सुरत्राता, तुम्ह से सठन्ह सिखावनु दाता, हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा, तेहि समेत नृप दल मद गंजा ।।
भावार्थ:- जो देवताओं की रक्षा के लिए नाना प्रकार की देह धारण करते हैं, और जो तुम्हारे जैसे मूर्खो को शिक्षा देने वाले हैं, जिन्होंने शिव जी की कठोर धनुष को तोड़ डाला और उसी के साथ राजाओं के समूह का गर्व चूर्ण कर दिया…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
