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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-114

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जय श्री राधे कृष्ण …….

जाकें बल बिरंचि हरि ईसा, पालत सृजत हरत दससीसा, जा बल सीस धरत सहसानन, अंडकोस समेत गिरि कानन ।।

भावार्थ:- जिन के बल से हे दसशीश !, ब्रह्मा, विष्णु, महेश (क्रमशः) सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करते हैं, जिन के बल से सहस्त्र मुख (फणों) वाले शेष जी पर्वत और वन सहित समस्त ब्रह्मांड को सिर पर धारण करते हैं….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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