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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-93

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जय श्री राधे कृष्ण …….

अजर अमर गुणनिधि सुत होहू, करहुँ बहुत रघुनायक छोहू, करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना, निर्भर प्रेम मगन हनुमाना….!!

भावार्थ:- हे पुत्र! तुम अजर (बुढ़ापे से रहित ), अमर और गुणों के खजाने होओ। श्री रघुनाथ जी तुम पर बहुत कृपा करें। ‘प्रभु कृपा करें ‘ ऐसा कानों से सुनते ही हनुमान जी पूर्ण प्रेम में मग्न हो गए….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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