जय श्री राधे कृष्ण …….
“सीता मन भरोस तब भयऊ, पुनि लघु रुप पवनसुत लयऊ…..!!
भावार्थ:- तब (उसे देखकर) सीता जी के मन में विश्वास हुआ। हनुमान जी ने फिर छोटा रुप धारण कर लिया….!!
सुनु माता साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल, प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल….!!
भावार्थ:- हे माता! सुनो, वानरों में बहुत बल बुद्धि नहीं होती । परंतु प्रभु के प्रताप से बहुत छोटा सर्प भी गरुड़ को खा सकता है (अत्यंत निर्बल भी महान बलवान को मार सकता है)…..!!
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
