जय श्री राधे कृष्ण …….
“निसिचर मारि तोहि लै जैहहिं, तिहुँ पुर नारदादि जसु गैहहिं, हैं सुत कपि सब तुम्हहि समाना, जातुधान अति भट बलवाना…..”!
भावार्थ:- और राक्षसों को मार कर आप को ले जाएंगे । नारद आदि (ऋषि – मुनि) तीनों लोकों में उन का यश गावेंगे । (सीता जी ने कहा) हे पुत्र ! सब वानर तुम्हारे ही समान (नन्हे नन्हे से) होंगे, राक्षस तो बड़े बलवान योद्धा हैं…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
