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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-80

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जय श्री राधे कृष्ण …….

रघुपति कर संदेसु अब सुनु जननी धरि धीर, अस कहि कपि गदगद भयउ भरे बिलोचन नीर….!!

भावार्थ:- हे माता! अब धीरज धर कर श्री रघुनाथ जी का संदेश सुनिए। ऐसा कह कर हनुमान जी प्रेम से गदगद हो गए । उनके नेत्रों में जल भर आया……!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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