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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-72

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जय श्री राधे कृष्ण …….

श्रवनामृत जेहिं कथा सुहाई, कही सो प्रगट होति किन भाई, तब हनुमंत निकट चलि गयऊ, फिरि बैठीं मन बिसमय भयऊ….!!

भावार्थ:- (सीता जी बोलीं-) जिस ने कानों के लिए अमृत रूप यह सुंदर कथा कही वह हे भाई! प्रकट क्यों नहीं होता ? तब हनुमान जी पास चले गए। उन्हें देखकर सीता जी फिर कर (मुख फेर कर) बैठ गयीं, उनके मन में आश्चर्य हुआ…. ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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