जय श्री राधे कृष्ण …….
“जीति को सकइ अजय रघुराई, माया ते असि रचि नहिं जाई, सीता मन बिचार कर नाना, मधुर बचन बोलेउ हनुमाना l…..!!
भावार्थ:- श्री रघुनाथ जी तो सर्वथा अजेय हैं, उन्हें कौन जीत सकता है ? और माया से ऐसी अंगूठी बनायी नहीं जा सकती । सीता जी मन में अनेक प्रकार के विचार कर रहीं थीं । इसी समय हनुमान जी मधुर बचन बोले ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..