जय श्री राधे कृष्ण …….
“स्याम सरोज दाम सब सुन्दर, प्रभु भुज करि कर सम दसकंधर, सो भुज कंठ कि तव असि घोरा, सुनु सठ अस प्रवान पन मोरा….!!
भावार्थ:- (सीता जी ने कहा) हे दशग्रीव! प्रभु की भुजा जो श्याम कमल की माला के समान सुन्दर और हाथी की सूंढ़ के समान (पुष्ट तथा विशाल) है, या तो वह भुजा ही मेरे कण्ठ में पड़ेगी या तेरी भयानक तलवार ही। रे शठ! सुन यही मेरा सच्चा प्रण है…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
