जय श्री राधे कृष्ण …….
“सठ सूने हरि आनेहि मोही, अधम निलज्ज लाज नहिं तोही….!!
भावार्थ:- रे पापी ! तू मुझे सूने में हर लाया है । रे अधम ! निर्लज्ज ! तुझे लज्जा नहीं आती ?…..।।
आपुहि सुनि खद्योत सम रामहि भानु समान, परुष बचन सुनि काढ़ि असि बोला अति खिसिआन….!!
भावार्थ:- अपने को जुगनू के समान और रामचंद्र जी को सूर्य के समान सुन कर और सीता जी के कठोर वचनों को सुन कर रावण तलवार निकाल कर बड़े गुस्से में आकर बोला…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..