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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-50

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जय श्री राधे कृष्ण …….

तव अनुचरीं करउँ पन मोरा, एक बार बिलोकु मम ओरा, तृन धरि ओट कहति बैदेही, सुमिरि अवधपति परम सनेही……!!

भावार्थ:- मैं तुम्हारी दासी बना दूंगा । यह मेरा प्रण है। तुम एक बार मेरी ओर देखो तो सही! अपने परम स्नेही कोसलाधीश श्री राम चंद्र जी का स्मरण कर के जानकी जी तिनके की आड़ (परदा) कर के कहने लगीं…..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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