जय श्री राधे कृष्ण …….
देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा, बैठेहिं बीति जात निसि जामा, कृस तनु सीस जटा एक बेनी, जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी…!!
भावार्थ:- सीता जी को देख कर हनुमान जी ने उन्हें मन ही मन में प्रणाम किया । उन्हें बैठे ही बैठे रात्रि के चारों पहर बीत जाते हैं। शरीर दुबला हो गया है, सिर पर जटाओं की एक वेणी (लट) है। हृदय में श्री रघुनाथ जी के गुण समूहों का जाप (स्मरण) करती रहती हैं….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..