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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-29

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जय श्री राधे कृष्ण …….

गरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही, राम कृपा करि चितवा जाही, अति लघु रूप धरेउ हनुमाना, पैठा नगर सुमिरि भगवाना….!!

भावार्थ:- और हे गरुड़ जी ! सुमेरु पर्वत उसके लिए रज के समान हो जाता है, जिसे श्री रामचंद्र जी ने एक बार कृपा करके देख लिया । तब हनुमान जी ने बहुत ही छोटा रूप धारण किया और भगवान का स्मरण करके नगर में प्रवेश किया….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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