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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-28

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जय श्री राधे कृष्ण …….

प्रबिसि नगर कीजे सब काजा, हृदयँ राखि कोसलपुर राजा, गरल सुधा रिपु करहिं मिताई, गोपद सिंधु अनल सितलाई…..!!

भावार्थ:- अयोध्यापुरी के राजा श्री रघुनाथ जी को हृदय में रखे हुए नगर में प्रवेश करके सब काम कीजिए। उसके लिए विष अमृत हो जाता है, शत्रु मित्रता करने लगते हैं, समुद्र गाय के खुर के बराबर हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है…..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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