lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-27

145Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

तात स्वर्ग अपबर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग, तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग……!!

भावार्थ:- हे तात ! स्वर्ग और मोक्ष के सब सुखों को तराजू के एक पलड़े में रखा जाय, तो भी यह सब मिलकर (दूसरे पलड़े पर रखे हुए) उस सुख के बराबर नहीं हो सकते, जो लव (क्षण) मात्र के सत्संग से होता है…..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply