जय श्री राधे कृष्ण …….
जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा, तासु दून कपि रूप देखावा, सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा, अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा…..!!
भावार्थ:- जैसे-जैसे सुरसा मुख का विस्तार बढ़ाती थी, हनुमान जी उसका दूना रूप दिखलाते थे | उसने सौ जोजन (चार सौ कोस का) मुख किया | तब हनुमान जी ने बहुत ही छोटा रूप धारण कर लिया…. … !!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
