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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-10

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जय श्री राधे कृष्ण …….

जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा, तासु दून कपि रूप देखावा, सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा, अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा…..!!

भावार्थ:- जैसे-जैसे सुरसा मुख का विस्तार बढ़ाती थी, हनुमान जी उसका दूना रूप दिखलाते थे | उसने सौ जोजन (चार सौ कोस का) मुख किया | तब हनुमान जी ने बहुत ही छोटा रूप धारण कर लिया…. … !!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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