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गुरु महिमा

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गुरु महिमा

एक संत के साथ कुछ सेवक रहते थे, एक सेवक ने गुरुजी के आगे अरदास की महाराजजी मेरी बहन की शादी है। कृपा करें आप भी साथ चले तो अच्छी बात है, गुरु जी ने कहा, बेटा देखो टाइम बताएगा, नहीं तो तेरे को तो हम जानें ही देंगे। आखिर वह दिन नजदीक आ गया सेवक ने कहा गुरु जी कल सुबह जाऊंगा मैं .

गुरु जी ने कहा- ठीक है बेटा । सुबह हो गई, जब सेवक जाने लगा तो गुरु जी ने उसे 5 किलो अनार दिए और कहा ले जा बेटा भगवान तेरी बहन की शादी खूब धूमधाम से करें दुनिया याद करे। ऐसी शादी तो हमने कभी देखी ही नहीं और साथ में दो सेवक भेज दिये। जब सेवक घर से चल दिए, जिसकी बहन की शादी थी वह सेवक दूसरे से बोला गुरु जी को पता ही था कि मेरी बहन की शादी है। और हमारे पास कुछ भी नहीं है फिर भी गुरु जी ने मेरी मदद नहीं की. दो दिन के बाद वह अपने घर पहुंच गया । उसका घर राजस्थान रेतीली इलाके में था वहां कोई फसल नहीं होती थी।

वहां के राजा की लड़की बीमार हो गई वैद्य ने बताया इस लड़की को अनार के रस के साथ यह दवाई दी जाएगी। तो यह लड़की ठीक हो जाए राजा ने मुनादी करवा रखी थी, अगर किसी के पास आनार है तो राजाजी को जरूरत है जल्दी आ जाओ ।

जब यह आवाज उन सेवकों के कानों में पड़ी वह सेवक उस मुनादी वाले के पास गए हमारे पास आनार है, चलो राजा जी के पास राजाजी को अनार दिए गए अनार का जूस निकाला गया। लड़की को दवाई दी गई लड़की ठीक हो गई राजा जी ने पूछा तुम कहां से आए हो तो उसने सारी हकीकत बता दी राजा ने कहा ठीक है तुम्हारी बहन की शादी अब हम करेंगे। राजा जी ने हुकुम दिया ऐसी शादी होनी चाहिए कि लोग यह कहे कि यह राजा की लड़की की शादी है। सब बारातियों को सोने चांदी के उपहार दिए गए बरात की सेवा बहुत अच्छी हुई लड़की को बहुत सारा धन दिया गया। लड़की भी राजी खुशी विदा होकर चली गई।

अब सेवक सोच रहे हैं कि गुरु की महिमा गुरु ही जाने हम ना जाने क्या-क्या सोच रहे थे गुरु जी के बारे में गुरु जी के वचन थे जा बेटा तेरी बहन की शादी ऐसी होगी दुनिया देखेगी….संत वचन हमेशा सच होते हैं । कहानी का सारांश संतों के वचन के अंदर ताकत होती है, लेकिन हम नहीं समझते, जो भी वह वचन निकालते हैं वह सिद्ध हो जाता है हमें संतों के वचनों के ऊपर अमल करना चाहिए और विश्वास करना चाहिए, ना जाने संत मोज में आकर क्या दे दे रंक से राजा बना दे । सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार…!!

जय श्री राम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

2 Comments

    • गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम: अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है।
      ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।

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