मई-जून की गर्मी, कोरोना काल, दुकानों को सीमित समय हेतु खोलने के आदेश…। एक मजदूर पसीना पोंछता हुआ बोला- सेठ जी थोड़ा सा पानी पिला दीजिये!
सेठ जी- अभी कोई आदमी नहीं है, थोड़ी देर बाद आना। बेचारा वहीं बैठ गया। थोड़ी देर बाद पुनः याचना की। अबकी बार कुछ ज्यादा कर्कश जबाब मिला- “तुमसे कहा ना कि अभी कोई आदमी नहीं है, थोड़ी देर बाद आना।”
वह पुनः बैठ गया। चिलचिलाती धूप के कारण जब प्यास असहनीय हो गई, तो वह पुनः उठकर सेठजी के पास गया। सेठ जी कुछ बोलते, उसके पहले ही उसने बड़ी विनम्रता से कहा- ” सेठजी, यदि आप बुरा ना माने तो एक निवेदन करूँ…”
“हाँ बोलो ???”…..
“थोड़ी देर के लिये आप ही आदमी बन जाइये, बहुत प्यास लगी है…..!!!
जय श्रीराम