lalittripathi@rediffmail.com
Stories

ब्रह्म वाक्यजनार्दनः

#ब्रह्म वाक्यजनार्दनः #विद्वान #विवाह # ग्रह नक्षत्रो #शुभ मुहूर्त #कुन्डली #विधवा #शास्त्र #विवाह मुहूर्त #शुभ #जय श्री राम

310Views

ब्रह्म वाक्यजनार्दनः

एक नाई ने बनारस मे चारो वेद छःशास्त्रो का ज्ञान अर्जित किया और अपने ग्रह ग्राम को आया विद्वान नाई का ग्राम के लोगो ने भारी स्वागत किया । इसके बाद गांव कि ही एक लडकी का विवाह तै किया गया जिसमे कुन्डली का मिलान व शुभ मुहूर्त विद्वान नाई द्वारा ही निकाला गया । कुन्डली के ग्रह नक्षत्रो का मिलान ऐसा किया गया जैसे राम सीता या शिव पार्वती के जैसे ग्रह नक्षत्रो व विद्वान नाई के अनुसार कुन्डली मै एक भी दोष नही थे पती पत्नी की आयू सौ वर्ष तथा जीवन मै किसी प्रकार का कोई अनिष्ट नही । खूब धूम धाम से पाणिग्रहण संस्कार नाई द्वारा कराया गया ।

पर शादी के एक वर्ष वाद लडकी विधवा हो गई ।

इस बात की चर्चा पूरे क्षेत्र मै फैली फिर से गृह नक्षत्रो का मिलान किया गया वास्तव मै कोई कमी नही मिली किसी के कुछ समझ मै नही आ रहा था कि इतने शुभ ग्रह होने के बाद भी लडकी विधवा कैसे हो गई । तभी सभी शास्त्र खंगाले गये पर किसी तरह की कोई कमी नही मिली । इसके बाद जिसने विवाह मुहूर्त का संसोधन किया था उससे पूछा गया आप कौन से पंडित है तब पता चला कि वे तो नाई पंडित है । तब यह बात सामने आई की सारी चीजे शुभ होने के बाद लडकी विधवा किस कारण हो गई की उसमे ब्रह्मण का वाक्य नही था ।

क्यूंकि शास्त्र कहते है कि ब्रह्म वाक्यजनार्दनः

अर्थात = ब्रह्मण के मुख से भगवान बोलते है । सोचो ब्रह्मण का वाक्य न होने से सारे ग्रह विपरीत हो जाते है जिस दिन ब्रह्मण का अधिकार छिनेगा उस दिन क्या होगा ?

जय श्री राम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply