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महात्मा की राह-पहले खुद को बदलो

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एक समय की बात है, एक महिला महात्माजी के पास आई और उनसे पूछा की वे उनके बेटे से कहे की वह शक्कर खाना छोड़ दे. महात्माजी ने उस महिला को अपने बच्चे के साथ एक हफ्ते बाद आने के लिए कहा. पुरे एक हफ्ते बाद ही वह महिला अपने बच्चे के साथ वापिस आई, और महात्माजी ने उसके बेटे से कहा, “बेटा, कृपया शक्कर खाना छोड़ दो.”

जाते-जाते उस महिला ने महात्मा जी का शुक्रियादा किया और जाने के लिए पीछे मुड ही रही थी की उसने महात्माजी से पूछा, की उन्होंने यही शब्द एक हफ्ते पहले उसके बेटे से क्यू नही कहे थे.

महात्माजी ने नम्रता से जवाब दिया, “क्यू की एक हफ्ते पहले, मैंने शक्कर खाना बंद नहीं किया था.”

यदि आपको दुनिया को बदलना है, तो सबसे पहले आपको अपने आप को बदलना होंगा. यही महात्मा के शब्द थे. हम सभी में दुनिया बदलने की ताकत है पर इसकी शुरुवात खुद से ही होती है. कुछ और बदलने से पहले हमें खुद को बदलना होंगा…. हमें खुद को तैयार करना होंगा… अपनी काबिलियत की अपनी ताकत बनाना होंगा….

अपने रवैये को सकारात्मक बनाना होंगा…. अपनी चाह को फौलाद करना होंगा… और तभी हम वो हर एक बदलाव ला पाएंगे जो हम सचमुच में लाना चाहते है..

दोस्तों, इसी बात को महात्मा ने बड़े ही प्रभावी ढंग से कहा है, “खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते है.” तो चलिए क्यों ना आज से ही हम महात्मा की राहो पर चलने की कोशिश करे…

जय श्री राम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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