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सकारात्मकता- एक शक्ति

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सकारात्मकता- एक शक्ति

गाँव के बाहर रामकिशन नाम का एक किसान रहता था। उसके पास एक काफी पुराना ऊँट था, जिसने सालों तक उसका साथ निभाया था। लेकिन अब वह ऊँट बूढ़ा हो चुका था और काम में उतना तेज़ नहीं रहा था ।

एक दिन अचानक वह ऊँट चलते-चलते सूखे गड्ढे में गिर गया। गड्ढा बहुत गहरा था। ऊँट ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया। किसान दौड़ा, उसने देखा ऊँट बाहर निकल नहीं पा रहा।

रामकिशन असमंजस में था – “क्या करूँ? यह बूढ़ा हो चुका है, अब इसे निकालने में मेहनत और पैसा दोनों ही लगेंगे…।”

बहुत देर सोचने के बाद उसने तय किया – “शायद अब समय आ गया है… इसे मिट्टी डालकर यहीं दफना देना ही ठीक रहेगा।”

उसने गाँववालों को बुलाया। सबने फावड़े उठाए और मिट्टी डालनी शुरू कर दी।ऊँट पहले तो डर से जोर-जोर से चिल्लाने लगा, लेकिन थोड़ी देर बाद अचानक चुप हो गया। गाँववाले मिट्टी डालते रहे और किसान बीच-बीच में झाँकता रहा। तभी उसने हैरानी से देखा –हर बार जब ऊँट की पीठ पर मिट्टी गिरती, वह उसे झटक देता और उसके ऊपर खड़ा हो जाता। धीरे-धीरे मिट्टी गड्ढे में भरती गई और ऊँट हर बार ऊपर चढ़ता गया।

कुछ ही देर में वह ऊँट गड्ढे से बाहर निकल आया। गाँववाले दंग रह गए – जिसे वे खत्म समझ रहे थे, उसने उसी मिट्टी को ही सीढ़ी बना लिया था ।

ध्यान रखें… आपके जीवन में भी बहुत तरह से मिट्टी फेंकी जायेगी जैसे कि, आपको आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई व्यर्थ में ही आपकी आलोचना करेगा, कोई आपकी सफलता से ईर्ष्या के कारण आपको व्यर्थ में ही भला बुरा कहेगा कोई आपसे आगे निकलने के लिए ऐसे रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो आपके आदर्शों के विरुद्ध होंगे…

ऐसे में आपको हतोत्साहित हो कर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ हर तरह की मिट्टी को गिरा देना है और उससे सीख ले कर उसे सीढ़ी बनाकर, बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते ही जाना है।

सकारात्मक रहे….सकारात्मक जियें….

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
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