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नियति

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नियति

ये नियति का खेल है। इस तस्वीर में परेशान,बेहाल और अनमना सा दिखने वाला ये हिन्दुस्तानी लड़का एक मशहूर अदाकारा के साथ जर्मनी की एक मेट्रो में बैठा है जिसे वह नहीं जानता। देखते देखते ये तस्वीर तेज़ी से पूरे जर्मनी में वायरल हो जाती है।

मशहूर जर्मन मैगज़ीन डेर स्पीगलने तस्वीर में दिख रहे भारतीय युवक को जर्मनी में ढूंढना शुरू किया। आखिरकार यह तलाश म्यूनिख में खत्म हुई, जहाँ पता चला कि वह भारतीय युवक गैर-कानूनी तरीके से जर्मनी में रह रहा है।

पत्रकार ने उससे पूछा: “क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारे बगल में बैठी गोरी लड़की ‘मेसी विलियम्स’ थी—मशहूर सीरीज़ गेम ऑफ़ थ्रोन्स की हीरोइन? दुनिया भर में उसके लाखों फ़ैन हैं जो सिर्फ़ उसके साथ सेल्फ़ी लेने का सपना देखते हैं, लेकिन तुमने बिल्कुल भी रिएक्ट नहीं किया। क्यों?”

युवक ने शांति से जवाब दिया:“जब तुम्हारे पास रहने का परमिट नहीं है, तुम्हारी जेब में एक भी यूरो नहीं है, और तुम हर दिन ट्रेन में ‘गैर-कानूनी’ तरीके से सफ़र करते हो, तो तुम्हें फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारे बगल में कौन बैठा है।”

उसकी ईमानदारी और हालत से इम्प्रेस होकर, मैगज़ीन ने उसे 800 यूरो महीने की सैलरी पर पोस्टमैन की नौकरी ऑफ़र की। इस जॉब कॉन्ट्रैक्ट की वजह से, उसे तुरंत बिना किसी मुश्किल के रेगुलर रहने का परमिट मिल गया।

यह कहानी हमें बताती है कि नियति कैसे काम करती है। हर अगली घटना, पिछली घटना से जुड़ी है और हर मौजूदा घटना भविष्य की किसी घटना से। सबकुछ पूर्व नियोजित है। जैसे एक स्क्रिप्ट लिखी हुई है जिस पर जिंदगी की पिक्चर चल रही है। किसकी किस्मत में आगे क्या लिखा है ये किसी को नहीं मालूम।

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

1 Comment

  • आपने ठीक कहा कि जिंदगी जीवन की एक स्क्रिप्ट है जो हर पांच हजार साल बाद ठीक उसी तरह रिपीट होती है जैसे किसी फिल्म की स्क्रिप्ट, उसमें रांच मात्र भी फर्क नहीं पड़ता।
    इसलिए जो ड्रामा में हो रहा है वह कल्याणकारी है उसे बिना शिकायत स्वीकार करे और खुश रहे।

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