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मौत का डर

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मौत का डर:
एक बार भगवान बुद्ध किसी गाँव में उपदेश दे रहे थे। उन्होंने अपने उपदेश में लोगों को एक कहानी सुनाई, “किसी शहर में एक बनिया रहता था। जोकि, जन्मजात कंजूस था, उसे हर समय पैसे का ही ध्यान बना रहता था। वह बहुत अधिक पैसा कमाना चाहता था। वह हमेशा अपने शहर के सबसे बड़े सेठ के बराबर होना चाहता था। जिसके कारण वह एक-एक पैसे को एकठ्ठा किए जा रहा था।”

एक दिन उसे खबर मिली कि उसके शहर के सबसे बड़े सेठ की मृत्यु हो गई। अब बनिया सोचने लगा कि उसके पास इतनी सारी धन-दौलत, गहने, महल, और हवेली सब किस काम के बचे, सब यही छोड़कर चला गया। उसका मन अब डगमगाने लगा और वह सोचने लगा मैं भी सेठ के नक्शे-कदम पर चल रहा हूँ। क्या जाएगा मेरे साथ, मैं भी यहीं पर सब कुछ छोड़कर चला जाऊंगा।

अब बनिये को मौत का डर सताने लगा, उसे प्रतिदिन लगने लगा की आज मैं मर जाऊंगा। जिसके कारण अब उसकी तबीयत दिनों-प्रतिदिन खराब होती जा रही थी। देखते-ही-देखते वह मौत के डर से खाना-पीना भी छोड़ चुका था। जिसके कारण अब वह बिस्तर पर पड़ गया। उसका बहुत इलाज कराया गया। लेकिन उसके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था।

एक दिन उसके दरवाजे से एक साधु महात्मा गुजर रहे थे। उन्होंने बनिये को अपने दरवाजे के सामने खाट पर बैठे देख पूछा- ” लालाजी क्या हुआ, कुछ दिक्कत हैं क्या? आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं लग रहा हैं। बनिये ने साधु महात्मा को अपनी पूरी व्यथा रो-रोकर बताई। उसकी बातों को सुनकर साधु ने हँसते हुए कहा। तुम्हारे रोग का इलाज बहुत साधारण हैं।

बनिये ने साधु महात्मा से बड़ी लालसा के साथ पूछा। महाराज, कृप्या मुझे इलाज बताए। साधु महात्मा ने उससे कहा, “जब भी तुम्हारे मन में मौत का ख्याल आए तो तुम जोर से कहना, “जब तक मौत नहीं आएगी, मैं जिंदा रहूँगा।” इस नुस्खे को आप दस दिन तक आजमा कर देखो। अगली बार जब बनिया साधु से मिला तो वह उनके चरणों में गिर गया। और कहने लगा महाराज मुझे एक नई जिंदगी मिल गई, मैं अब बहुत स्वस्थ हूँ। आपकी बताई तरकीब बहुत काम करती हैं।

साधु ने बनिये को समझाते हुए कहा- “शिष्य, जीवन का सत्य यही हैं कि लोग मौत से नहीं मरते, बल्कि उसके डर से मर जाते हैं। इसलिए, मौत एक कटु सत्य है, जो आनी ही हैं। लेकिन, उससे डरना और उसका इंतजार करना गलत हैं। इस तरह से बनिया अब खुशी-खुशी अपना जीवन दुबारा से यापन करने लगा।

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
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