भाई
पुश्तैनी जमीन के बंटवारे के विवाद में बात इतनी बढ़ गई कि दोनों भाइयों में बातचीत बंद हो गई। बड़े भाई रामराज जी को बेटे का विवाह करना था, उन्होंने छोटे भाई रामप्रताप को न्योता दिया लेकिन छोटे भाई ने भतीजे के विवाह से पूरी दूरी बनाए रखी।
कई वर्ष बीत गए और इस बार छोटे भाई की बेटी की शादी थी। रामप्रताप मान कर चल रहे थे कि जब वो भतीजे के विवाह में शरीक नहीं हुए तो भैया भी उनके न्योते को अस्वीकार कर देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, ज्यों ही छोटा भाई बड़े को न्योता देने आया, बड़े भाई ने खुशी जताई और निश्चित रूप से विवाहोत्सव में शामिल होने की बात कही।
रामप्रताप अपने भैया के व्यवहार से भौंचक रह गए। रामराज जी ने छोटे भाई की मनोदशा को भांपते हुए कहा, ‘छोटे। ग़लतियां करना तुम्हारा अधिकार है और तुम्हारी ग़लतियों को माफ करने के लिए ही तो भगवान ने मुझे बड़ा बनाया है।’
इतने में भाभी ने चाय का प्याला लाकर दोनों भाइयों के हाथों में दे दिया। दोनों भाइयों के बीच देर तक वार्तालाप चलता रहा, जैसे कभी कुछ हुआ ही न हो।
जय श्रीराम
बढ़न को क्षमा चाहिएं , छोटन को अपराध