lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

दुख और नमक

68Views

दुख और नमक


एक बार एक युवक गौतम बुद्ध के पास पहुंचा और बोला महात्मा जी, मैं अपनी ज़िन्दगी से बहुत परेशान हूँ, कृपया इस परेशानी से निकलने का उपाय बताएं।

गौतम बुद्ध बोले: पानी के गिलास में एक मुट्ठी नमक डालो और उसे पियो। युवक ने ऐसा ही किया।
गौतम बुद्ध ने पूछा: इसका स्वाद कैसा लगा।
युवक थूकते हुए बोला: बहुत ही खराब, एकदम खारा
गौतम बुद्ध मुस्कुराते हुए बोले: एक बार फिर अपने हाथ में एक मुट्ठी नमक लेलो और मेरे पीछे-पीछे आओ। दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे और थोड़ी दूर जाकर स्वच्छ पानी से बनी एक झील के सामने रुक गए।
गौतम बुद्ध ने निर्देश दिया: चलो, अब इस नमक को, पानी में डाल दो, युवक ने ऐसा ही किया।
गौतम बुद्ध बोले: अब इस झील का पानी पियो, युवक पानी पीने लगा,
एक बार फिर गौतम बुद्ध ने पूछा: बताओ इसका स्वाद कैसा है, क्या अभी भी तुम्हे ये खारा लग रहा है ? युवक बोला, नहीं ये तो मीठा है ,बहुत अच्छा है।

शिक्षा–: जीवन के दुःख बिलकुल नमक की तरह हैं, न इससे कम ना ज्यादा। जीवन में दुःख की मात्रा वही रहती है, बिलकुल वही, लेकिन हम कितने दुःख का स्वाद लेते हैं, ये इस पर निर्भर करता है, कि हम उसे किस पात्र में डाल रहे हैं। इसलिए जब तुम दुखी हो तो सिर्फ इतना कर सकते है, कि खुद होने पर अपने मन को बड़ा कर लो, ग़िलास मत बने रहो झील बन जाओ।

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply