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जीवन अनिश्चिताओं का खेल है

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जीवन अनिश्चिताओं का खेल है

कोई दो बार टिकट कैंसिल करवाकर फिर टिकट बनाकर रवाना होता है और फिर कभी वापस नहीं आता है तो कोई अच्छी नौकरी की तलाश में पहले की नौकरी छोड़ कर जाता है फिर कभी वापस नहीं आता है तो कोई विवाह के बाद पहली बार अपनी विदेश यात्रा पर जाता है और उसकी यात्रा कभी वापस नहीं लौटने वाली अंतिम यात्रा बन जाती है ।

किसी को दस मिनट देर से आने पर बोर्डिंग नहीं करने दिया जाता है तो उसके फ्लाइट छूटने का दर्द है और फिर घंटे भर बाद उसका यह दर्द उसके नए जीवन का कारण बन जाता है तो कोई ऐसा व्यक्ति भी है जो इन सबको पीछे छोड़ कर चमत्कारिक रूप से जीवित बाहर निकल जाता है ।

यह सब बातें/ तथ्य/ घटनाएँ सीख देती है कि हम सब केवल प्यादे हैं । उसका खेल निश्चित है तो फिर किसका गुमान ??? क्या तेरी मेरी करनी?? क्यों पद, धन के लिये षड्यंत्र रचने???क्यों अपने कर्मों से किसी को दर्द देना???

हमारे हाथ में केवल कर्म करना है, बाक़ी सब उसके दिमाग़ में हैं!

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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