धन्यवाद कहें
एक व्यक्ति ने वर्षों की कठिन मेहनत, ईमानदारी और संयम से पैसे जोड़े। उसका सपना था — एक छोटा-सा सुंदर घर जहाँ उसका परिवार सुकून से रह सके। आखिरकार, उसकी मेहनत रंग लाई और उसने अपने सपनों का घर बनवा ही लिया।
तीन दिन बाद वह अपने परिवार के साथ नए घर में शिफ्ट होने वाला था। सब कुछ बहुत खुशहाल लग रहा था। लेकिन नियति को कुछ और मंज़ूर था। शिफ्टिंग से ठीक एक रात पहले ज़ोरदार भूकंप आया। आसपास के इलाकों के साथ उसका नया घर भी धराशायी हो गया। एक ही झटके में उसकी वर्षों की कमाई, उसका सपना मलबे में बदल गया।
अगले दिन मोहल्ले के लोग और रिश्तेदार जब दुख प्रकट करने उसके टूटे हुए घर के पास पहुँचे, तो देखा कि वह व्यक्ति हाथ में मिठाई का डिब्बा लिए सबको मिठाई बाँट रहा है। सभी चौंक गए।
एक व्यक्ति ने नाराज़ होकर पूछा, “तुम पागल हो गए हो क्या? सब कुछ तबाह हो गया और तुम मिठाई बाँट रहे हो?”
उस व्यक्ति ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “मैं ईश्वर का धन्यवाद कर रहा हूँ। अगर भूकंप तीन दिन बाद आया होता, जब हम इस घर में रह रहे होते — तो शायद आज मैं, मेरी पत्नी और बच्चे इस मलबे के नीचे होते।”
सीख: जीवन में हर स्थिति में ईश्वर का धन्यवाद करना सीखें। परिस्थितियाँ चाहे जैसी हों, उनमें कोई न कोई छुपा आशीर्वाद ज़रूर होता है। शिकायतें करना आसान है, लेकिन आस्था और सकारात्मकता बनाए रखना महानता की निशानी है। जब हम ‘धन्यवाद’ कहने की आदत डाल लेते हैं, तब हम हर कठिनाई को भी एक नई दृष्टि से देख पाते हैं — और यही हमें जीवन में मानसिक शांति और ईश्वर में अडिग विश्वास देता है।
“धन्यवाद” कहना एक शक्ति है — जो हमें टूटने नहीं देती। 🌼
जय श्रीराम
धन्यवाद आपका भी ललित भाई, जो हमें रोज रोज अच्छी कहानी भेजते हो
देनहार कोई और है, देवत है दिन रैन। लोग भरम हम पर करें, याते नीचे नैन॥