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पैकेज

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पैकेज
आरती दुविधा में फँस गई थी कि वेटिंग रूम से उठकर इंटरव्यू के लिए अंदर जाए या नहीं। उसने निखिल को उसी कमरे में जाते देखा था जहाँ इंटरव्यू चल रहा था। आरती के मन में बीते वर्षों की परतें एक-एक कर खुलने लगीं।

कुछ साल पहले, आरती एक प्रतिष्ठित कंपनी में शानदार पैकेज पर काम करती थी। तभी निखिल से रिश्ते की बात चली। दोनों मिले भी थे, पर आरती ने यह कहकर रिश्ता ठुकरा दिया था कि निखिल का वेतन उससे कम था। उस वक्त उसे लगा था कि उसका जीवनसाथी उससे ऊँचा कमाने वाला होना चाहिए – तभी समाज में गर्व से सिर उठा पाएगी।

लेकिन समय करवट लेता है। आरती की कंपनी में छँटनी हुई और वो बेरोज़गार हो गई। अब वह इस इंटरव्यू में नौकरी की तलाश में थी – और उसे पता चला कि निखिल इस कंपनी में है, और इंटरव्यू पैनल का हिस्सा भी।

उसका मन किया वापस लौट जाए, लेकिन ज़रूरत के आगे अहंकार छोटा पड़ गया। अपनी बारी पर वह इंटरव्यू रूम में पहुँची। जब निखिल ने पूछा,
आप हमारे पैकेज पर काम करने के लिए तैयार हैं?”
तो आरती का दिल चुभ गया। मगर उसने संयम से जवाब दिया,
“जी, अवसर मिलेगा तो मैं खुद को साबित करने की पूरी कोशिश करूंगी।”

उसे नौकरी मिल गई — और निखिल की टीम में ही।

पहले दिन, निखिल ने मुस्कुराकर पूछा,
“मेरे साथ काम करने में कोई संकोच तो नहीं? वैसे अब तो मेरा पैकेज भी आपसे ज़्यादा है।”

आरती थोड़ी देर चुप रही, फिर बोली, मैं अपनी सोच की ग़लती समझ चुकी हूँ। महिलाएं बराबरी की बातें करती हैं, पर कभी-कभी हम खुद ही उन बातों को नहीं जी पाते। आज समझ आया कि रिश्ते ‘पैकेज’ से नहीं, सोच और सम्मान से बनते हैं।”

निखिल ने हल्की हँसी के साथ कहा,
अगर तुमने तब ना नहीं कहा होता, तो शायद मैं आज यहाँ तक नहीं पहुँच पाता। और हाँ, तुम्हारे रेज़्यूमे से पता चला कि तुम अब भी सिंगल हो… क्या हम आज रात डिनर पर चल सकते हैं?”

आरती ने मुस्कराते हुए कहा,
“शायद ये हमारे लिए दूसरा मौका है…”

❤️ कभी-कभी ज़िंदगी हमें दूसरा मौका देती है – रिश्तों को समझने, दिलों को जोड़ने और पुराने फैसलों को एक नया मोड़ देने का।
अगर आपने भी कभी किसी मौके को खोया हो, तो इस कहानी को LIKE और SHARE जरूर करें — क्या पता किसी और की ज़िंदगी भी बदल जाए। 💌✨
जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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