पत्नी पति की ताकत होती है
भावना पति से लड़कर मायके चली आई थी। उसके पति नरेश को बिजनेस में घाटा हुआ था। इस कारण वह चिड़चिड़ा हो गया था। झगड़े इतने बढ़ गए थे कि दोनों का छत के नीचे रहना ही मुश्किल हो गया था। इसलिए वह मायके चली आई।
चार महीने हो गए थे….ना पति ने फोन किया ना भावना ने फोन करने की कोशिश की। अचानक एक कॉल आया उसमें बताया गया कि उसका पति गंभीर रूप से बीमार है और हॉस्पिटल में भर्ती है। इतना सुनते ही वह घबरा गई।
बौखलाई हुई हॉस्पिटल पहुंची तो देखा नरेश सूखकर कांटा हो गया था। बेड पर पड़ा सुनी आंखों से छत को निहार रहा था। वह उसके सीने से लगकर रो पड़ी बोली ” ये क्या हाल बना रखा है? तुम तो कहते थे ना तुम्हारी परेशानी है तुम खुद लड़ लोगे? वह सुखी आंखों में आए आंसुओं को दबाता हुआ बोला “मेरी ताकत तो तुम थी। जब तुम चली गई तो कैसे लड़ता? हार गया!”
भावना को अपनी गलती का अहसास हुआ। वह बोली ” अब आ गई हूं ना। दोनों मिलकर लड़ेंगे।” पत्नी के आने से वह कुछ दिन में ही ठीक हो गया। फिर दोनों ने मिलकर संघर्ष किया और जीत गए। मोरलःपत्नी अर्धांगिनी होती ती है जब वह पति के साथ रहती है
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जय श्रीराम
एक और एक ग्यारह होते हैं