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संकल्प शक्ति

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संकल्प शक्ति

एक बार गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ किसी पहाड़ी इलाके में ठहरे थे। शाम के समय वह अपने एक शिष्य के साथ भ्रमण के लिए निकले

दोनों प्रकृति के मोहक दृश्य का आनंद ले रहे थे। विशाल और मजबूत चट्टानों को देख शिष्य के भीतर उत्सुकता जागी। उसने पूछा- ‘इन चट्टानों पर तो किसी का शासन नहीं होगा, क्योंकि ये अटल, अविचल और कठोर हैं।’

शिष्य की बात सुनकर बुद्ध बोले- ‘नहीं, इन शक्तिशाली चट्टानों पर भी किसी का शासन चलता है। लोहे के प्रहार से इन चट्टानों के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं।’

इस पर शिष्य बोला- ‘तब तो लोहा सर्वशक्तिशाली हुआ।’

बुद्ध मुस्कुराए और बोले- ‘नहीं, अग्नि अपने ताप से लोहे का रूप परिवर्तित कर सकती है।’

उन्हें धैर्यपूर्वक सुन रहे शिष्य ने कहा- ‘मतलब, अग्नि सबसे ज्यादा शक्तिवान है।’ ‘नहीं। अग्नि की उष्णता को जल शीतलता में बदल देता है तथा अग्नि को शांत कर देता है।’

शिष्य ने फिर प्रश्न किया- ‘आखिर जल पर किसका शासन है?’ बुद्ध ने उत्तर दिया- ‘वायु का वेग जल की दिशा भी बदल देता है।’

शिष्य कुछ कहता, उससे पहले ही बुद्ध ने कहा- ‘अब तुम कहोगे कि पवन सबसे शक्तिशाली हुआ। नहीं। वायु सबसे शक्तिशाली नहीं है। सबसे शक्तिशाली है मनुष्य की संकल्प शक्ति, क्योंकि इसी से पृथ्वी, जल, वायु, और अग्नि को नियंत्रित किया जा सकता है
जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

1 Comment

  • संकल्पों की शक्ति से संसार में स्वर्ग की भी स्थापना की जा सकती हैं

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