lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

अपनी प्रतिध्वनि बुद्धिमता से चुनें

40Views

अपनी प्रतिध्वनि बुद्धिमता से चुनें

एक आदमी अपने बेटे को पास के जंगल में सैर पर ले जाता है। लड़का यात्रा करता हुआ अचानक तेज दर्द महसूस करता है, वह चिल्लाता है “आहह!” लड़का आश्चर्यचकित होकर पहाड़ से आने वाली आवाज़ सुनता है, “आहह!” यह उसका प्रतिध्वनि (Echo) का पहला अनुभव था

जिज्ञासा से भरकर, वह चिल्लाता है: “तुम कौन हो?”, लेकिन उसे वापिस एक ही जवाब मिला, “तुम कौन हो?

इससे वह क्रोधित हो गया, इसलिए वह चिल्लाया, “तुम कायर हो!” और आवाज ने जवाब दिया “तुम कायर हो!” उसने अपने पिता की ओर देखा और पूछा पिताजी ये क्या हो रहा है। यह कौन कैसे मुझसे बात कर रहा है?….

बेटा आदमी जवाब देता है, ध्यान दो। उसे कुछ अच्छा कहो।

फिर वह चिल्लाता है, मैं तुमसे प्यार करता हूँ!” आवाज जवाब देती है, मैं तुमसे प्यार करता हूँ!
अपने बेटे के भ्रम को महसूस करते हुए आदमी ने प्रकृति के साथ बातचीत की और तुम बहुत लाजवाब हो!” और आवाज ने उत्तर दिया, तुम बहुत लाजवाब हो!

लड़का रोमांचित हो उठा लेकिन फिर भी समझ नहीं पाया कि क्या हो रहा है।

पिता बताते हैं,बेटा,लोग इसे प्रतिध्वनि (Echo) कहते हैं,लेकिन वास्तव में यही जीवन है। जीवन हमेशा आपको वही देता है जो आप देते हैं। जीवन आपके कार्यों का दर्पण है।

यदि आप अधिक प्यार चाहते हैं,तो अधिक प्यार दें।यदि आप अधिक दयालुता चाहते हैं,तो अधिक दयालुता दें। यदि आप समझ और सम्मान चाहते हैं,तो समझ और सम्मान दें। यदि आप क्षमा चाहते हैं तो उन लोगों को क्षमा करें,जिन्होंने आपको चोट पहुंचाई है।यदि आप चाहते हैं कि लोग आपके साथ धैर्य रखें,तो उनके साथ धैर्य रखें ।

प्रकृति का यह नियम हमारे जीवन के हर पहलू पर लागू होता है।

एक प्रतिध्वनि प्रकृति का तरीका है कि हम दूसरों को यह सिखाएं कि हम उनसे जो चाहते हैं,वह करें और दूसरों के लिए भी अच्छी कामना करें।

जीवन हमेशा आपको वही देता है जो आप बाहर देते हैं

आपका जीवन एक संयोग नहीं है,बल्कि आपके स्वयं के कार्यों का दर्पण है।

अपनी प्रतिध्वनि चुनें! आशीर्वाद भेजें और बदले में आशीर्वाद प्राप्त करें..!!

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply