संकटमोचक
प्रभु का प्रिय बनने के लिए मानव को “सदा श्री राम का हृदय मे ध्यानधर के कृतज्ञ भाव से परसेवा और परमार्थ में निरत रहना चाहिये, दूसरों के संकट की घड़ी में संकटमोचक बन उनके संकटों को अपना संकट मानकर उसके निवारण के लिए प्राणों तक को दाँव पर लगा देना श्री हनुमान जी महाराज का जीवन हमें सीख देता है ।
दूसरों को जीतने वालों को वीर और जो स्वयं को भी जीत जाए उसे महावीर कहते हैं ।
श्री हनुमान जी महाराज का जीवन मानवमात्र को जितेंद्रिय बनने की प्रेरणा भी प्रदान करता है । बलवान होना ही पर्याप्त नहीं है अपितु विवेकवान होना भी जीवन की अनिवार्यता है । बल, बुद्धि, विद्या, विनय, विवेक एवं स्वामीभक्ति का गुण ही श्री हनुमान जी महाराज के जीवन को जन-जन का आदर्श एवं प्रभु श्रीराम-माँ जानकी का प्रिय बनाता है ।
बुद्धि-विवेक के भंडार, ज्ञानियों में भी अग्रगण्य भक्त शिरोमणि हनुमान जी महाराज के मंगलमय पावन प्राकट्य उत्सव की आप सभी को अनंत शुभकामनायें एवं मंगल बधाई ।
जय श्रीराम
