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स्वयं में बदलाव

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स्वयं में बदलाव

हमारे जीवन में अशांति, अप्रसन्नता अथवा दु:खों का कारण कोई और नहीं अपितु हम स्वयं हैं। कई बार हमारे द्वारा अपनी अशांति, अपने दुःखों अथवा अपने द्वंदों का कारण दूसरों को मान लिया जाता है। हम जीवन में सुखी तो होना चाहते हैं पर दूसरों को बदल कर, स्वयं को बदल कर नहीं। हम अपनी ऊर्जा का उपयोग दूसरों को समझाने में करते हैं पर स्वयं को नहीं समझा पाते। स्वयं में बदलाव के बिना हमारा जीवन कभी नहीं बदल सकता।

लोग हमें समझें अथवा न समझें पर हमारी समझ में अपना स्वयं का स्वभाव अवश्य आना चाहिए। दूसरे लोग हमें नहीं समझ रहे हैं, यह चिंता का विषय बिल्कुल भी नही है पर हम स्वयं भी अपने आप को नहीं समझ पा रहे हैं तो यह अवश्य विचारणीय विषय है। स्वयं को जानने का प्रयास करो। जो स्वयं को जान लेता है वो अपने जीवन में घटित हो रही बहुत सारी समस्याओं का समाधान भी स्वयं खोज लेता है।

ईश्वर सभी पर अपनी कृपा दृष्टि निरंतर सपरिवार बनाए रखें,

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जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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