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सतत् सुमिरन

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सतत् सुमिरन

एक ऋषि लोटा रोज मांजते थे, एक शिष्य ने उनसे कहा कि गुरुवर लोटे को रोज माँजने की क्या जरूरत है सप्ताह में एक बार माँज लिया करें..
ऋषि ने कहा बात तो सही है और फिर उसके बाद उन्होंने उसे नहीं माँजा उस लोटे की चमक फीकी पड़ने लगी सप्ताह बाद ऋषि ने शिष्य से कहा कि लोटे को साफ कर दो शिष्य लोटे को काफी देर माँजने के बाद भी पहले वाली चमक नही ला सका तब और काफी देर माँजा तब वह कुछ चमका
ऋषि ने कहा- लोटे से सीखो…..
जब तक इसे रोज माँजा जाता रहा यह रोज चमकता रहा इसी तरह भक्त होता है यदि वह रोज सुमिरन न करे तो सांसारिक विकारों से अपनी चमक खो देता है , इसलिए भक्त को रोज अपने प्रभु को सुमिरन करना होता है अगर एक दिन भी सिमरन छूटा तो भक्ति की चमक फीकी पड़ जाएगी…
जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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