सुविचार-सुन्दरकाण्ड-55
जय श्री राधे कृष्ण ……. "चंन्द्रहास हरु मम परितापं, रघुपति बिरह अनल संजातं, सीतल निसित बहसि बर धारा, कह सीता हरु मम दुख भारा…..!! भावार्थ:- सीता जी कहती हैं, हे चन्द्रहास (तलवार), श्री रघुनाथ जी के विरह की अग्नि से...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "चंन्द्रहास हरु मम परितापं, रघुपति बिरह अनल संजातं, सीतल निसित बहसि बर धारा, कह सीता हरु मम दुख भारा…..!! भावार्थ:- सीता जी कहती हैं, हे चन्द्रहास (तलवार), श्री रघुनाथ जी के विरह की अग्नि से...
सीताजी का स्वयंवर भगवान श्रीरामचन्द्र जी जब महर्षि विश्वामित्र कि सलाह पर मिथिला नरेश राजा जनक कि राज्यसभा में धनुषयज्ञ देखने गये। उनके सौंदर्य, सौम्यता को देखकर जनकपुर के लोग मोहित थे। सभी चाहते थे कि विधि का विधान ऐसा...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "स्याम सरोज दाम सब सुन्दर, प्रभु भुज करि कर सम दसकंधर, सो भुज कंठ कि तव असि घोरा, सुनु सठ अस प्रवान पन मोरा….!! भावार्थ:- (सीता जी ने कहा) हे दशग्रीव! प्रभु की भुजा जो...
भगवान श्रीराम जी को कब-कब क्रोध आया? जब भी हम श्रीराम के बारे में सोचते हैं तो हमारे मन में उनकी एक सौम्य और शांतचित्त छवि उभर कर आती है। श्रीराम हिन्दू धर्म के सर्वाधिक संयमी और शांत चरित्रों में...
https://youtu.be/ncdSGssVOAY?si=_YUzt9YRVBptql0c...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सीता तैं मम कृत अपमाना, कटिहउँ तव सिर कठिन कृपाना, नाहिं त सपदि मानु मम बानी, सुमुखि होति न त जीवन हानी…..!! भावार्थ:- सीता! तूने मेरा अपमान किया है। मैं तेरा सिर इस कठोर कृपाण...
केवट प्रसंग : केवट का प्रेम और गंगा पार जाना रामायण में वर्णित हर एक घटना अपने आप में मानव जाति के लिए मार्गदर्शन मिलता है | लेकिन कुछ घटनाये ऐसी हैं जिसे हम बार बार पढते हैं फिर भी...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सठ सूने हरि आनेहि मोही, अधम निलज्ज लाज नहिं तोही….!! भावार्थ:- रे पापी ! तू मुझे सूने में हर लाया है । रे अधम ! निर्लज्ज ! तुझे लज्जा नहीं आती ?…..।। आपुहि सुनि खद्योत...
'राम- राम'- सौभाग्य एक बार भगवान राम और लक्ष्मण एक सरोवर में स्नान के लिए उतरे। उतरते समय उन्होंने अपने-अपने धनुष बाहर तट पर गाड़ दिए जब वे स्नान करके बाहर निकले तो लक्ष्मण ने देखा की उनकी धनुष की...
जय श्री राधे कृष्ण ……. " कर्म करने पर तो हार या जीत कुछ भी मिल सकती है किन्तु कर्म ना करने पर केवल हार ही मिलती है पुरुषार्थी के पुरुषार्थ के आगे तो भाग्य भी विवश हो कर फल...