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Year Archives: 2024

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-64

जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनत बचन पद गहि समुझाएसि, प्रभु प्रताप बल सुजसु सुनाएसि, निसि न अनल मिल सुनु सुकुमारी, अस कहि सो निज भवन सिधारी…..!! भावार्थ:- सीता जी के वचन सुन कर त्रिजटा ने चरण पकड़ कर उन्हें...

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कैसे आते हैं श्रीराम

कैसे आते हैं श्रीराम उस घने वन में एक ओर सीधे सादे भीलों की बस्तियां होतीं थीं, तो दूसरी ओर तपस्वी ऋषियों के आश्रम! प्रकृति द्वारा निर्मित व्यवस्था के अनुसार जीवन यापन करने वाले ये मानव चुपचाप अपनी परम्पराओं के...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-63

जय श्री राधे कृष्ण ……. "आनि काठ रचु चिता बनाई, मातु अनल पुनि देहि लगाई, सत्य करहि मम प्रीति सयानी, सुनै को श्रवन सूल सम वानी…..!! भावार्थ:- काठ लाकर चिता बना कर सजा दे। हे माता! फिर उसमें आग लगा...

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फिर चौदह वर्ष बाद

फिर चौदह वर्ष बाद गहे भरत पुनि प्रभु पद पंकज, नमत जिनहिं सुर मुनि संकर अज।( श्रीरामचरितमानस ), मित्र ! क्षमा करें मैं अब अयोध्या के लिए प्रस्थान करना चाहता हूँ । श्रीराम ने जब विभीषण से ये कहा, तब...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-62

जय श्री राधे कृष्ण ……. "जहँ तहँ गईं सकल तब सीता कर मन सोच, मास दिवस बीतें मोहि मारिहि निसिचर पोच…..!! भावार्थ:- तब (इसके बाद) वे सब जहाँ तहाँ चलीं गईं । सीता जी मन में सोच करने लगीं कि...

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मै यहीं रहूँगा- गिरिराज और गोवर्धन

मै यहीं रहूँगा- गिरिराज और गोवर्धन समुद्र पार जाने के लिए पुल के निर्माण का काम प्रगति पर था । राम की सेना उत्साह से फूली नहीं समा रही थी । भालू-वानर भाग-भागकर काम कर रहे थे । तभी एकाएक...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-61

जय श्री राधे कृष्ण ……. "यह सपना मैं कहऊँ पुकारी, होइहि सत्य गएँ दिन चारी, तासु बचन सुनि ते सब डरीं, जनकसुता के चरनन्हिं परीं…!! भावार्थ:- मैं पुकार कर (निश्चय के साथ) कहती हूँ कि यह स्वप्न चार (कुछ ही)...

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राम रामायण और मैं

राम रामायण और मैं भारतीय समाज मे राम और रामायण का अपना महत्व है, हमारे बहुत सारे बड़े बड़े तीज त्यौहार राम और रामायण के कारण ही हमारे समाज और परिवार में है। चाहे दशहरा हो, या दीवाली हो।  घर...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-60

जय श्री राधे कृष्ण ……. "एहि बिधि सो दच्छिन दिसि जाई, लंका मनहुँ बिभीषन पाई, नगर फिरी रघुबीर दोहाई, तब प्रभु सीता बोलि पठाई……!! भावार्थ :- इस प्रकार से वह दक्षिण (यमपुरी की) दिशा को जा रहा है और मानो...

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मेरे प्रभु श्री राम आ रहे हैं

मेरे प्रभु श्री राम आ रहे हैं पुनि मन्दिर महँ बात जनाई, आवत नगर कुशल रघुराई । ( श्रीरामचरितमानस ) शत्रुघ्न आज जल्दी से जल्दी महल में पहुँचना चाहते हैं... सुमन्त्र जी ! आप आज की रात सब व्यवस्था सम्भाल...

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