फूल की तरह खिलाते जाओ, होली पर्व मनाते जाओ
फूल की तरह खिलाते जाओ, होली पर्व मनाते जाओ फाल्गुन का महीना अपने मन को खिलाने वाला होता है , बसंती बयार जब बहती है फूलों की खुशबू अपनी आप ही दूर दूर तक पहुंचनी प्रारंभ हो जाती है…... क्या...
फूल की तरह खिलाते जाओ, होली पर्व मनाते जाओ फाल्गुन का महीना अपने मन को खिलाने वाला होता है , बसंती बयार जब बहती है फूलों की खुशबू अपनी आप ही दूर दूर तक पहुंचनी प्रारंभ हो जाती है…... क्या...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनु दसकंठ कहउँ पन रोपी, बिमुख राम त्राता नहिं कोपी, संकर सहस बिष्नु आज तोही, सकहिं न राखि राम कर द्रोही ।। भावार्थ:- हे रावण! सुनो, मैं प्रतिज्ञा कर के कहता हूँ कि राम विमुख...
अहंकार को जलाना सीखना है होली का दिन आते ही मन में एक नया ही उत्साह का संचार होना प्रारंभ हो जाता है , मन में रंगों की प्रति आकर्षण जागृत होना प्रारंभ हो जाता है देखते देखते होली खेलने...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "राम बिमुख संपति प्रभुताई, जाइ रही पाई बिनु पाई, सजल मूल जिन्ह सरितन्ह नाहीं, बरषि गए पुनि तबहिं सुखाहीं ।। भावार्थ:- राम विमुख पुरुष की संपत्ति और प्रभुता रही हुईं भी चली जाती है और...
बरसाने की लठमार होली ब्रजमण्डलल भारत में अपना एक विशिष्टा स्थाान रखता है। लीला पुरुषोत्त म भगवान श्री कृष्णल की जन्मेस्थवली और लीला भूमि होने से ब्रज की चौरासी कोस की भूमि अपने दिव्यल आध्या्त्मिक आलोक से धर्म-प्राणजनों को आत्म...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "राम नाम बिनु गिरा न सोहा, देखु बिचारि त्यागि मद मोहा, बसन हीन नहिं सोह सुरारी, सब भूषन भूषित बर नारी ।। भावार्थ:- राम नाम के बिना वाणी शोभा नही पाती, मद-मोह को छोड़ विचार...
मन में विश्वास पैदा करना सीखो जब तक हमारे मन में विश्वास पैदा नही होगा तब तक कोई भी कार्य हमारा सफल नहीं हो पाएगा विश्वास सफलता का सबसे बडा राज है , जिस दिन हमारे जीवन में विश्वास पैदा...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "राम चरण पंकज उर धरहू, लंका अचल राजु तुम्ह करहू, रिषि पुलस्ति जसु बिमल मयंका, तेहि ससि महुँ जनि होहु कलंका ।। भावार्थ:- तुम श्री राम जी के चरण कमलों को हृदय में धारण करो...
तिजोरी पत्नी के देवलोक गमन करने के बाद – एक दिन पत्नी के गहनें बेचकर – एक भारी – मज़बूत – अभेद – तिजोरी खरीद लाया। अपने कमरे की दीवार में फिक्स करवाने के बाद – घण्टों दरवाज़ा बन्द कर...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "प्रनतपाल रघुनायक करुना सिंधु खरारि, गए सरन प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारि ।। भावार्थ:- खर के शत्रु श्री रघुनाथ जी शरणागतों के रक्षक और दया के समुद्र हैं । शरण जाने पर प्रभु तुम्हारा अपराध...